आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "धार"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "धार"
कुंडलिया
ग्राहै प्रबल अगाध जल, या मे तीछन धार।
ग्राहै प्रबल अगाध जल, या मे तीछन धार।पथी पार जो तू चहै, खेवनहार पुकार।।
दीनदयाल गिरि
पद
प्रेम भक्ति गुर धार हिये में आया सेवक प्यारा हो
प्रेम भक्ति गुर धार हिये में आया सेवक प्यारा होप्रेम भक्ति गुर धार हिये में आया सेवक प्यारा हो
शालीग्राम
अन्य परिणाम "धार"
मनहर
।। मनहर ।।
हयग्रीव रूप धार ब्रह्मा के जो वेद ल्याये,कमठ ओतार धार पृथ्वी पीठ धारे हैं।
महात्मा प्यारेराम जी
सूफ़ी लेख
कबीर के कुछ अप्रकाशित पद ओमप्रकाश सक्सेना
बरहे ने मार दे वानी की तीईआ तन कस बेहाल री। नदिया नीर धार अति धार कोई न उतरा जात रे।
हिंदुस्तानी पत्रिका
पद
उपदेश - प्रेमी लीजे रे सुध घर की गुरुसंग शब्द कमाय
शब्द धार धुर धर से आई वही धार गह अधर चढ़ायवही धार गुरु चरन कहावे वामें गहरी प्रीति बसाय
शालीग्राम
सूफ़ी लेख
सन्तों की प्रेम-साधना- डा. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम. ए., एल-एल. बी., पीएच. डी.
से था नाइ कूल किनारा शास्त्र धार नियम कि करम।।- जाग
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत कबीर की सगुण भक्ति का स्वरूप- गोवर्धननाथ शुक्ल
नरहरि सहजै जिन जाना। 3. रसना रसहि विचारिये, सारंग श्रीरंग धार रे।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
सब कविकौ सिरनायके यौं उमंग मन धार ग्रंथ नाम दीनौ भलौ खुसबिलास सुखसार।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
कवित्त
नेत्र वर्णन- रूप रस सारहि सुधा रसोधि साधन के
पानिप दे पान खुरसान नेह सानि धरिचितवनि अनी हाथ भाव धार धारी है।।
करीम
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
जित्ति लई आसाम बाम निज नाम सुक्न्हिव। मार धार बस करिय हार बत्तर बर लिन्हव।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कुंडलिया
राम कहै सो साध है, दूजा साधन झूठ
होसी सब नर ऊंठ, वूंट काँटन को चरही।।ऊपर मुक्ता मार, धार ढोते बहु फिरही।।
स्वामी आत्माराम जी
पद
प्रभु की लीला- प्रभुजी तुम बिन कौन छुड़ावै।
आस नाम नौका बैठावै, भवकी धार बहावै।तत्वमसी कहि ताहि डुबावै, अंत कोइ नहिं पावै।।