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चाचरी
उट्ठो चिश्तियो इस को सर पर उठाओ
मिरा नज़्म-ए-हस्ती ना बिखरा ना बिखरेकि सर पे निज़ामुल-हुदा की है चादर
हैदर शाह वारसी
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
ख़ुसरौ कि ब-नज़्म-ओ-नस्र मिस्लश कम ख़्वास्तमिलकियत-ए-मुल्क-ए-सुख़न आँ ख़ुसरौ रास्त
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
फ़िरदौसी - सय्यद रज़ा क़ासिमी हुसैनाबादी
फ़िरदौसी ने शाही सर-परस्ती शुक्रिया के साथ मंज़ूर की और पूरे जोश-ओ-ख़रोश के साथ अश्आ’र नज़्म
ज़माना
सूफ़ी लेख
शाह अकबर दानापुरी और “हुनर-नामा”
शाह ‘अकबर’ दानापुरी की शाइ’री उनकी हुब्बुल-वतनी में डूबी हुई ख़्वाहिश का इज़हार है। आपने क़ौमी
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बिहार के प्रसिद्ध सूफ़ी शाइर – शाह अकबर दानापुरी
हज़रत शाह अकबर दानापूरी के कई मुरीद प्रसिद्ध हुए परन्तु उनकी शाइरी की परम्परा में कुछ