ये दिल महबूब-ए-सुबहानी के सदक़े
रोचक तथ्य
منقبت درشان غوث پاک شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد-عراق)
ये दिल महबूब-ए-सुबहानी के सदक़े
मुहिउद्दीन जिलानी के सदक़े
निसार-ए-क़ुब्बा-ए-अनवर मह-ओ-मेहर
फ़रिश्ते क़ब्र-ए-नूरानी के सदक़े
तुम्हारी ज़ात से है नज़्म-ए-'आलम
जहाँ-बानी के सुल्तानी के सदक़े
मिरे दिल पर चले वो ख़ंजर-ए-'इश्क़
मलक हों जिस की क़ुर्बानी के सदक़े
तुम्हारे लुत्फ़-ए-पिन्हानी के क़ुर्बां
तुम्हारे फ़ैज़-ए-रूहानी के सदक़े
ये दिल हो और मौज-ए-क़ुल्ज़ुम-ए-'इश्क़
ये कश्ती मौज-ए-तूफ़ानी के सदक़े
ये ज़ेबा है जो हों लौह-ओ-क़लम भी
तुम्हारे इस्म-ए-ला-सानी के सदक़े
फ़िदा-ए-शम्अ' परवाना हो ऐ 'दाग़'
हम अपने क़ुतुब-ए-रब्बानी के सदक़े
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