आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "नाच"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "नाच"
पद
सोहे शाम किशोर भोरा निज अंगन मो नाच नचावें
सोहे शाम किशोर भोरा निज अंगन मो नाच नचावें
रहा बतलावै अघोर
अनंत महाराज
सूफ़ी लेख
संतों के लोकगीत- डॉ. त्रिलोकी नारायण दीक्षित, एम.ए., पी-एच.डी.
केहि विधि ससुरे जाव मोरी सजनी बिरहा जोर जनावै।
विषैरस नाच नचावै।।
सम्मेलन पत्रिका
कवित्त
बाजत नगारे मेघ ताल देत नदी नारे
नील ग्रीव नाच कारी कोकिल अलाप चारी,
पौन वीन धारी चाटी चातक लगाई है।।
मुबारक अली बिलग्रामी
सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
जपमाला छापा तिलक सरै न एकौ कामु।
मन-कांचै नाच बृथा सांचै रांचै रामु।।141।।
बिहारी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेष।
घट घट अबिनासी बसै, सुनहु तकी तुम सेष।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
अन्य परिणाम "नाच"
छंद
बुधि बिन करे बेपार दृष्टि बिन नाव चलावे।
बुधि बिन करे बेपार दृष्टि बिन नाव चलावे।
सुर बिन गावे गीत अर्थ बिन नाच नचावे।।
बैताल
सूफ़ी लेख
कबीर और शेख़ तक़ी सुहरवर्दी
नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेख
घट घट अविनाशी अहै, सुनहु तक़ी तुम सेख .
सुमन मिश्र
पद
( विडंबना ) -तनि चंदनु मसतकि पाती, रिद अंतरि करतल काती ।
पग नाचसि चितु अकरमं, ए लंपट नाच अधरमं।।
म्रिग आसण तुलसी माला, कर ऊजल तिलकु कपाला।
वेणी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
नाना नाच नचाय के, नाचे नट के भेष।
घट घट अबिनासी बसै, सुनहु तकी तुम सेष।।
परशुराम चतुर्वेदी
राग आधारित पद
बृज का है यही स्वभाव मोहन मोरे नाचन लागे रे
बृज का है यही स्वभाव मोहन मोरे नाचन लागे रे
नाच नाच के हैं भाव बतावत
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
सहम गई नहि सकी पुकार। ऐ सखी साजन ना सखी बुखार।।
(149) आँख चलावे भौं मटकावे। नाच कूद के खेल खिलावे।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
सहम गई नहि सकी पुकार। ऐ सखी साजन ना सखी बुखार।।
(149) आँख चलावे भौं मटकावे। नाच कूद के खेल खिलावे।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सवैया
कृष्ण का अलौकिकत्व- सकर से सुर जाहि जपै चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावै।
जा पर देव अदेव भू-अगना वारत प्रानन प्रानन पावै।
ताहि अहीर की छोहरियॉ छछिया भरि छाछ पै नाच नचावै।।7।।
रसखान
सवैया
कृष्ण का अलौकिकत्व- सेस गनेस महेस दिनेस सुरेसहु जाहि निरन्तर गावै।
नारद से सुक ब्यास रहै पचि हारे तऊ पुनि पार न पावै।
ताहि अहीर की छोहरिया छछिया भरि छाछ पै नाच नचावै।।
रसखान
राग आधारित पद
हिल मिल गीत को गाओ री ननदिया
तनिक नाच के लुभाओ री ननदिया
मोरे कुएँ का निर्मल पानी