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शबद
साधो रे भाई घर-गृहस्थी दुखदाई ।
पाँचो की मत न्यारी-न्यारी, घट मे कलह मचाई ।पुण्य, पाप दोऊ पोते उपजे, अनन्त वासना नाती ।
स्वामी आत्मप्रकाश
दकनी सूफ़ी काव्य
गंजीन-ए-शोहदा
जिस के नाना का कहें कलमा नित उठ हाएउस के नाती कूँ देखो मारा ज़हर पिलाए
अमानुल्लाह
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सूफ़ी लेख
बिहार में क़व्वालों का इतिहास
मोहम्मद रज़ा क़व्वाल बिहार शरीफ़ के रहने वाले थे। वो अच्छा गाते और सितार बजाते थे।
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
जिन नैनन में पी बसे दूजा कौन समाय
“उस सुबह हज़रत का आदेश हुआ कि मैं ख्व़ाजा हसन सिजज़ी की छावनी छोड़ दूँ जहाँ
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
ग्रामोफ़ोन क़व्वाली
अ’ज़ीज़ नाज़ाँ ने कई महान संगीतकारों के साथ काम किया और नए नए प्रयोग किए। उन्होंने