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मधुमालती, 251.3-5 (ग) माता के निर्दयी होने पर सन्तान द्वारा कुशब्द कथन- चिड़िया बना देने पर मधुमालती का अपनी माँ के लिए कुशब्द कहनाः
कहा जाता है कि उसकी लाश के पास से कोई उसी के ज़ुल्म का मारा हुआ व्यक्ति गुज़रा और उसे इस तबाही में पड़ा देखकर बोला, 'ऊँचे ओ’हदे पर पहुँचकर यदि तू अहंकार वश ग़रीबों और कमज़ोरों को लूटकर खाएगा, तो वह माल तुझे हज़म नहीं होगा। कठोर हड्डी को निगला तो जा सकता है, लेकिन जब वह अन्दर पहूचेगी, तो पेट को फाड़ डालेगी।''निर्दयी और अत्याचारी बहुत दिनों ज़िन्दा नहीं रहेगा; परन्तु उसकी निंदा हमेशा होती रहेगी।'
पहला वाइ’ज़ थोड़ी देर सोचता रहा, फिर बोला, ख़ुदा आपका भला करे। आपने सचमुच बहुत अच्छा
जौनपुर के प्राचीन इतिहास का अवलोकन करने से पता चलता है कि श्री राम चन्द्र जी
निर्दयीنردئی
heartless, cruel
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