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ग़ज़ल
चाँद सा मुखड़ा उस ने दिखा कर फिर नैनाँ के बाँड़ चला करसाँवरिया ने बीच-बजरिया लूट लियो इस निर्धन को
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दोहा
दिल में सदहा ख़्वाहिशें जी में लाख अरमान
सिक्का दौलत का चले दुनिया में दिन रातनिर्धन की इस दौर में कोई न पूछे बात
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
सदक़े जाऊँ 'नसीर' उस आक़ा उस मौला की रहमत परराह दिखा कर इस दर की मुझ निर्धन पर एहसान किया
पीर नसीरुद्दीन नसीर
काफी
रैन गई लटके सभ तारे
क्या सरधन क्या निर्धन पौड़े आपने आपने देश को दौड़ेलद्धा नाम लै लियौ सभारे अब तो जाग मुसाफ़र प्यारे
बुल्ले शाह
शे'र
चाँद सा मुखड़ा उस ने दिखा कर फिर नैनाँ के बाँड़ चला करसाँवरिया ने बीच-बजरिया लूट लियो इस निर्धन को
अब्दुल हादी काविश
शे'र
चाँद सा मुखड़ा उस ने दिखा कर फिर नैनाँ के बाण चला करसँवरिया ने बीच-बजरिया लूट लियो इस निर्धन को
अब्दुल हादी काविश
गीत
चाँद सा मुखड़ा उस ने दिखा कर फिर नैनाँ के बाण चला करसँवरिया ने बीच-बजरिया लूट लियो बस निर्धन को
अब्दुल हादी काविश
ग़ज़ल
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
मंज़ूर आरफ़ी
सूफ़ी लेख
जायसी का जीवन-वृत्त- श्री चंद्रबली पांडेय एम. ए., काशी
विवाहजायसी के जीवन का अब तक जो कुछ परिचय हमें प्राप्त था उसके आधार पर हम