आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "नेज़े"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "नेज़े"
गूजरी सूफ़ी काव्य
बन्दे हैं तेरी छब के मह से जमालवाले
उज़लत' की आहों आगे तेरी निगाहों आगे,क्या शोले झालवाले, क्या नेज़े भालवाले।
अब्दुल वली उज़लत
दकनी सूफ़ी काव्य
किस्सासुल अम्बिया
अथा नेज़े बराबर चाह में आबपड़ा यूसुफ़ का जिस कुए में ताब
मुहम्मद ग़ौसी
अन्य परिणाम "नेज़े"
ना'त-ओ-मनक़बत
शब्बीर ने पढ़ा है जो नेज़े की नोक परख़ुत्बा जहाँ में ऐसा किसी ने पढ़ा नहीं
इदरीस ख़ाँ साहिल
ना'त-ओ-मनक़बत
जा मिला रब्बुल-’उला से और रसूल पाक सेपढ़ते-पढ़ते नेज़े पर क़ुरआँ 'अली का लाडला
सद्दाम हुसैन नाज़ाँ
ग़ज़ल
किया बाला-ए-ताक़ उस हुस्न की क़ातिल निगाहों नेसिपर को तेग़ को नेज़े को लश्कर को शुजाअ'त को
रज़ी शत्तारी
ना'त-ओ-मनक़बत
राकिब-ए-दोश-ए-नबी का आह सर नेज़े पे होवाह वा सरदारि-ए-जन्नत की क्या तदबीर है
शाह अब्दुल क़ादिर बदायूँनी
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
थाली फेंको तो सरों पर जाये। मग़रिब के बा’द ही झरना से नफ़ीरी की आवाज़ आई।