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ग़ज़ल
पस-ए-मुर्दन इरादा दिल में था जो कू-ए-क़ातिल कालहद में ख़ुश हुआ मैं नाम सुन कर पहली मंज़िल का
ग़ाफ़िल लखनवी
गूजरी सूफ़ी काव्य
पिउ है वतन तू है सरा पस आप कूँ छोड़ कर
पिउ है वतन तू है सरा पस आप कूँ छोड़ करहुब्बुलवतन ईमान है पिउ की तरफ़ चले ऐ सखी
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
फ़ारसी कलाम
रबूद जाँ पस-ए-दिल चश्म-ए-'उज़्र ख़्वाह-ए-कसेशिकायतेस्त ब-सद 'अफ़्व अज़ निगाह-ए-कसे
मयकश अकबराबादी
शे'र
पस-ए-मुर्दन तो मुझ को क़ब्र में राहत से रहने दोतुम्हारी ठोकरों से उड़ता है ख़ाका क़यामत का
अकबर वारसी मेरठी
ग़ज़ल
पस-ए-पर्दा तुझे हर बज़्म में शामिल समझते हैंकोई महफ़िल हो हम उस को तिरी महफ़िल समझते हैं
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
ग़ज़ल
शहीद-ए-इ’श्क़-ए-मौला-ए-क़तील-ए-हुब्ब-ए-रहमानेजनाब-ए-ख़्वाजः क़ुतुबुद्दीं इमाम-ए-दीन-ओ-ईमाने
वाहिद बख़्श स्याल
सूफ़ी कहावत
रू-ए ज़ेबा मरहम-ए-दिलहा-ए-ख़स्ता अस्त-ओ-कलीद-ए-दरहा-ए-बस्ता
एक ख़ूबसूरत चेहरा दुखी दिलों के लिए मरहम की तरह होता है, और बंद दरवाजों के लिए कुंजी
वाचिक परंपरा
ना'त-ओ-मनक़बत
गुल-ए-बुस्तान-ए-मा'शूक़ी मह-ए-ताबान-ए-महबूबीनिज़ामुद्दीन सुल्तान-उल-मशाइख़ जान-ए-महबूबी