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राग आधारित पद
रागिनी टोड़ी, चौताल- अब ही डारि दै रे इडुरिंया
अब ही डारि दै रे इडुरिंया,कन्हैया मेरे पचरंग पाट की।
तान तरंग
अरिल्ल
महमूदी चौतार हजारा पहिरता ।
राज पाट गज ठाठ छाँड़ कफनी लई ।सार सब्द की चोट तोर बख्तर गई ।।
गरीब दास
दकनी सूफ़ी काव्य
खुशनामा
न मुझ लोभे पाट-पितम्बर यह ज़र ज़मी श्रंगारफाटी फूट कंबली नीकी फटा लिहाफ़ हमार
शाह मीराजी शम्सुल शाख़
सूफ़ी लेख
रैदास और सहजोबाई की बानी में उपलब्ध रूढ़ियाँ- श्री रमेश चन्द्र दुबे- Ank-2, 1956
(1) इड़ा पिंगला ऊपर पहुँचे, सुखमन पाट उघारा। भँवर गुफा में दृढ़ ह्वै बैठे, देख्यो अधिक उजारा।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
खंडकाव्य
इंद्रावति -जीव कहानी खंड
साथी बहुत साथ जिउ लीन्हा। तब सरीरपुर आपन कीन्हा।आइ पाट पर बैठा, भा सरीर को राय।