आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "पीर-ज़न"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "पीर-ज़न"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "पीर-ज़न"
शबद
सुमरो रे प्राणी साँचा साहेब पीर ।
सुमरो रे प्राणी साँचा साहेब पीर ।रैन दिवस का लग रहा फेरा जी, रस्ते पडी बहीर ।
मंगतदास जी
सूफ़ी कहावत
खड़े पीर का रोज़ा रखा है क्या?
खड़े पीर का रोज़ा रखा है क्या?जो आने पर अपना आसन ग्रहण न करे
वाचिक परंपरा
गूजरी सूफ़ी काव्य
नबीजी और काफ़िर
सुनो उंगलियाँ मुबारक केरा रे बयाँ,सुनो मोजिज़ा का बयाँ इयां रे जानाँ।
मौलाना पीर मशाएख़
दोहरा
शहाना कान्हड़ा, चलता तिताला- मांगत तुम सूं आज मैं, हज़रत ख़्वाजा पीर
मांगत तुम सूं आज मैं, हज़रत ख़्वाजा पीर“शाहे-आलम” को दीजिये माल मुल्क मन धीर
शाह आलम सानी
दोहरा
गौंड, चलता तिताला- या हज़रत पीर दस्तगीर, अपनी मिहर की नज़र कीजे
या हज़रत पीर दस्तगीर, अपनी मिहर की नज़र कीजे“शाहे-आलम” पादशाह मुरीद के मन की सब दीजे !
शाह आलम सानी
दोहरा
देवगरी, अड़ा चौताला- आसरो राखत है तुम्हारो, अब हज़रत पीर रसूल सुनीजे
आसरो राखत है तुम्हारो, अब हज़रत पीर रसूल सुनीजेजी के मनोरत पूरे करो, “शाहे-आलम” को भू मण्डल दीजे