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सलोक
फ़रीदा राती सोवह खट्ट डीहे पिटहं पेट कूँ
फ़रीदा राती सोवह खट्ट डीहे पिटहं पेट कूँजा तउं खट्टन वेल तडाहीं ते सउं रहआ
बाबा फ़रीद
सूफ़ी कहानी
एक साहिब-ए-दिल का ख़्वाब में कुतिया के पेट में से बच्चों की आवाज़ सुनना- दफ़्तर-ए-पंजुम
एक शख़्स चिल्ले में था।ख़्व्वाब में देखा कि एक कुतिया हामिला है। ये रास्ते से चला
रूमी
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दोहा
'रहिमन' अपने पेट सो बहुत कह्यो समुझाय
'रहिमन' अपने पेट सो बहुत कह्यो समुझायजो तू अनखाए रहे तोसों को अनखाय
रहीम
पद
बिधाभरी दंदुल पेट उस पर साप की लपेट
बिधाभरी दंदुल पेट उस पर साप की लपेटविघन करत है चपेट पकड़ फेट कालकी
गोंदा महाराज
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
(40) 114.1 पेट पत्र चंदन जनु लावा। कुंकुह केसरि बरन सोहावा।
हिंदुस्तानी पत्रिका
दकनी सूफ़ी काव्य
हम दास तीन्ह के सुना हो लोकॉ !
स्तंभ फोड़ पेट चिरीया कश्यप काप्रह्लाद के लिये कहे भाई 'तुका' याका
तुकाराम
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(137) सर पर जाली पेट से खाली। पसली देख एक एक निराली।।-मूढ़ा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(137) सर पर जाली पेट से खाली। पसली देख एक एक निराली।। -मूढ़ा
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
दोहा
आये इसक लपेट मे, सागी चसम चपेट।
आये इसक लपेट मे, सागी चसम चपेट।सोई आया जगत मे, और भरे सब पेट ।।
रसनिधि
मनहर
प्रमथ मुक्त कहिये दूसरे मुमुक्षु सोऊ
मोग विषै सुख चाहै सो तो विषयी कहावे,पांमर सो पेट भरि मेढरा पियारो है।।