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सूफ़ी लेख
प्रेम और मध्ययुगीन कृष्ण भक्ति काव्य- दामिनी उत्तम, एम. ए.
सच्चे प्रेमी और प्रेमिका का यही आदर्श है। स्वच्छन्द प्रेम-साधना का वही स्वरूप है। कवि ने
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
जात न किरसुन तजि गोपीता।इन पंक्तियों का अर्थ डॉ. अग्रवाल ने किया है, उससे शुद्ध ठीक
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूर के भ्रमर-गीत की दार्शनिक पृष्ठभूमि, डॉक्टर आदर्श सक्सेना
रस की बात मधुप नीरस सुनि, रसिक होइ सो जानै।।भगवान के सम्मुख भक्त का रूप प्रिय
सूरदास : विविध संदर्भों में
सूफ़ी लेख
सुफ़ियों का भक्ति राग
पिया बाज यक तिल जिया जाये ना !कहते हैं कि हिन्दुस्तान की धरती जिसके कण कण
ख़ुर्शीद आलम
सूफ़ी लेख
उमर ख़ैयाम श्रीयुत इक़बाल वर्मा, सेहर
सवेरे का समय है। ऐ! आनबान वाले उठ। धीरे धीरे मदिरा पी और चंग बजा। इसलिये