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टोड़ी, धमार ध्रुपद- पिय के मन-नैनन भावै, भावै तेरौ बदन पिय कौ।
पिय के मन-नैनन भावै, भावै तेरौ बदन पिय कौ।तेरे रूप-रस ऐसौ बस भयौ प्रानपति,
विलास ख़ान
कलाम
न तू माह बन के फ़लक पे रह न तू फूल बन के चमन में आये तमाम जल्वे समेट कर किसी दिल-गुदाज़-ए-फबन में आ
एहसान दानिश
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
शगुफ़्त आयद मुरा बर दिल अज़ीं ज़िंदान-ए-सुल्तानीकि दर ज़िंदान-ए-सुल्तानी मनम सुल्तान-ए-ज़िंदानी
हकीम सनाई
पद
पस्तो - हालत बदन के बीच हाल ख़याल ना रहै
हालत बदन के बीच हाल ख़याल ना रहैकहुँ क्या कलेजे बीच लैलै लहर को कहै
तुलसी साहिब हाथरस वाले
शे'र
जल्वे से तिरे है कब ख़ाली फल फूल फली पत्ता डालीहै रंग तिरा गुलशन गुलशन सुब्हान-अल्लाह सुब्हान-अल्लाह
अकबर वारसी मेरठी
गूजरी सूफ़ी काव्य
ख़ुश्बू मनें है फूल मस्त सूंघन मने भँवरा है मस्त
ख़ुश्बू मनें है फूल मस्त सूंघन मने भँवरा है मस्तआक़िल है मस्त-ए-अक़ल ख़ुद मस्ती मनें मशहूर मस्त
पीर सय्यद मोहम्मद अक़दस
शे'र
बुलबुल सिफ़त ऐ गुल-बदन इस बाग़ में हर सुब्हतेरी बहारिस्तान का दीवाना हूँ दीवाना हूँ
क़ादिर बख़्श बेदिल
शे'र
बाँद कर गुलनार चीरा गुल-बदन जाता है बाग़आज ख़ातिर में तिरे बुलबुल की मिस्मारी है क्या