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सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
बाप माँ बहन बीवी बच्चे छूट जायेंगेतेरे जितने हैं भाई वक़तका चलन देंगे
सुमन मिश्रा
चौपाई
माता कहे सुत मेरोक, राखूँ बीवतैं नेरौक।।
बहन कहै है म्हारो ही वीर, राखूँ होवे लपट शरीर।।म्हारै प्रांण कौ प्रांणीक, पीऊं वारिकै पांनीक।।
महात्मा षेमदास जी
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कौन कहे ना जिनस इन्हां नूं ? इकसे मां प्यु-जाए
इक काले इक सबज़ कबूतर इक चिट्टे बनि आएचिट्टे काले मिलन मुहम्मद ना बनि बहन पराए
मियां मोहम्मद बख़्श
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सो भलवान बहादर नाहीं
मूल गवा ल्या मैं जेहियां, असां शहवत हिरस-प्रसतां ।साहब मगज़ रसीले हाशम, जेहड़े कर कर बहन निशसतां ।
हाशिम शाह
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मुशकल नेहु लगावन होया
दिलबर यार बनी गल्ल औखी, मैनूं बहन न मिलदा भोरा ।'हाशम नेहुं न लाईयो कोई', कोई देवे शहर ढंडोरा ।
हाशिम शाह
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फल्या बाग़ लगे टुर आवन
फल्या बाग़ लगे टुर आवन, कई पंछी लाख हज़ारां ।इक बोलन इक खावन मेवे, इक बन्न्ह बन्न्ह बहन कतारां ।
हाशिम शाह
सूफ़ी लेख
अयोध्या की राबिया-ए-ज़मन – हज़रत सय्यदा बड़ी बुआ
अभी ये हज़रत कमसिन ही थे कि हज़रत अ’ब्दुर्रहमान का इन्तिक़ल हो गया। ख़ैरुल-मजालिस में है
सय्यद रिज़्वानुल्लाह वाहिदी
ना'त-ओ-मनक़बत
मिल नहीं सकता किसी माँ में बहन बेटी में अबजज़्बा-ए-ईसार-ओ-क़ुर्बानी 'अजब ज़ैनब में है