अल्लाह के प्यारे सजन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
अल्लाह के प्यारे सजन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
धो-धो पियूँ तुम्हरे चरन गाहे नज़र बरमन फ़िगन
तू दीन और ईमान मिरा या मुस्तफ़ा ख़ैर-उल-वरा
है नाम का तेरे भजन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
आदम से ता-हूर-ओ-परी बलिहार मैं तुम पर नबी
कहते हैं जंगल के हिरन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
प्यारे पिया पय्याँ परूँ कर जोड़ कर बिंती हूँ
अंचरा उठा मुख से सजन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
तेरी अनोखी है फबन और है निराला बाँकपन
चंदन बदन सूरज बिरन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
सब छट गई सैर-ए-चमन सब कर चुका हूँ में जतन
जीना है तेरे बिन कठिन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
मैं दिल से तेरा हो चुका तेरे द्वारे आ पड़ा
और आ लिया तेरा सरन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
तुम बिन हमारा कौन था दोज़ख़ से जो लेता बचा
तुम ने ये पाला है परण गाहे नज़र बर मन फ़िगन
मुल्क-ए-'अदम को जब चला अपना-पराया छट गया
किस काम के भाई-बहन गाहे नज़र बरमन फ़िगन
मुल्क-ए-'अदम को जब चला अपना-पराया छुट गया
किस काम के भाई-बहन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
मैं कर चुका सौ-सौ जतन मिलने के तेरे ए सज्जन
तेरी जुदाई है कठिन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
अच्छा कहो कोई बड़ा ईमान-ओ-दीन तु है मिरा
और है यही मेरा बचन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
क़ुर्बान तिरे अंदाज़ के सदक़ा हूँ तेरे नाज़ के
जामा शफ़ा'अत का पहन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
तिरा 'ख़लील' ख़स्ता-तन कहता है ऐ शाह-ए-ज़मन
बंगर ब-हाल-ए-ज़ार-ए-मन गाहे नज़र बर मन फ़िगन
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