आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत"
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शे'र
बहार आई है गुलशन में वही फिर रंग-ए-महफ़िल हैकिसी जा ख़ंदा-ए-गुल है कहीं शोर-ए-अ’नादिल है
शम्स फ़िरंगी महल्ली
शे'र
बहार आई है गुलशन में वही फिर रंग-ए-महफ़िल हैकिसी जा ख़ंदा-ए-गुल है कहीं शोर-ए-अ’नादिल है
शम्स फ़िरंगी महल्ली
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "बहार-ए-गुलशन-ए-नाज़-ओ-नज़ाकत"
ग़ज़ल
बहार आई है गुलशन में वही फिर रंग-ए-महफ़िल हैकिसी जा ख़ंदा-ए-गुल है कहीं शोर-ए-’अनादिल है
शम्स फ़िरंगी महल्ली
ना'त-ओ-मनक़बत
बहार-ए-बाग़-ए-जन्नत है बहार-ए-रौज़ा-ए-साबिरज्वार-ए-अ’र्श-ए-आ’ला है ज्वार-ए-रौज़ा-ए-साबिर
बेदम शाह वारसी
कलाम
पीर नसीरुद्दीन नसीर
शे'र
ख़ुदा रक्खे अजब कैफ़-ए-बहार-ए-कू-ए-जानाँ हैकि दिल है जल्वः-सामाँ तो नज़र जन्नत-ब-दामाँ है
अफ़क़र मोहानी
ना'त-ओ-मनक़बत
झूम रहा है चिश्ती गुलशन रंग-ए-फ़रीदी छाए हैंशाह-ए-मदीना गंज-ए-शकर को दूल्हा बनाने आए हैं
फ़ना बुलंदशहरी
कलाम
नुमायाँ कर दिया उस ने बहार-ए-रू-ए-ख़ंदाँ कोकि दी नग़्मे को मस्ती रंग कुछ सेहन-ए-गुलिस्ताँ को
असग़र गोंडवी
ग़ज़ल
चेहरे पे कुछ मुसर्रत-ए-फ़स्ल-ए-बहार क्या हैदिल में अलम की शिद्दत-ए-फ़स्ल-ए-बहार क्या है