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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
भला ताहि के होई।।1।।तजै गरूर पूर कहि बाना,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सुफ़ियों का भक्ति राग
ला इलाह का ताना इल्लल्लाह का बानादास कबीर बटने को बैठा उलझा सूत पुराना
ख़ुर्शीद आलम
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(81) ताना बाना जल गया जला नहीं एक तागा।घर का चोर पकड़ गया घर में मोरी में से भागा।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
(81) ताना बाना जल गया जला नहीं एक तागा। घर का चोर पकड़ गया घर में मोरी में से भागा।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
ना'त-ओ-मनक़बत
हमारा जामा-ए-ईमाँ दरीदा हो नहीं सकताहै ताना बाना कुछ ऐसा निज़ामुद्दीन चिश्ती का
नूरुल हसन नूर
ग़ज़ल
ग़ुबार-ए-दश्त-ए-यसरिब से बदन मस्तूर हो अपनायही ख़ाकिस्तरी जामा हम आज़ादों का बाना हो
शाह फ़ज़्ल-ए-रसूल बदायूँनी
नज़्म
ये बातें झूटी बातें हैं ये लोगों ने फैलाई हैं
या छोड़ें या तकमील करें ये इश्क़ है या अफ़साना हैये कैसा गोरख-धंदा है ये कैसा ताना-बाना है
इब्न-ए-इंशा
सूफ़ी लेख
कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
उपर्युक्त मान्यताओं का प्रभाव निर्विवाद रूप से सम्पूर्ण संत साधना पर पड़ा, जिससे संत कबीर एवं
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य जब लिखे गए तब उनका ताना बाना भी हिन्दुस्तानी संस्कृति के धागे से
सुमन मिश्रा
सूफ़ी शब्दावली
जिसका उच्चारण मन में हो. सूफ़ियों के विभिन्न संप्रदायों में ज़िक्र के अलग-अलग नियम हैं और
सूफ़ी लेख
कबीर और शेख़ तक़ी सुहरवर्दी
कबीर भारतीय संस्कृति के एक ऐसे विशाल वट वृक्ष हैं जिसकी छाया में भारतीय संस्कृति, दर्शन