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मनहर
शुद्ध जो प्रकास बोध प्रापत भयो है जाकौ,
शुद्ध जो प्रकास बोध प्रापत भयो है जाकौ,ग्यांनी जो कहीजै मान ज्ञानी सुखराशि है।
महात्मा मनोहरदास जी
पद
बोध बिराज्या घर कुं बुलावूं
बोध बिराज्या घर कुं बुलावूंकाम क्रोध कूं जहर पिलावूं।।ध्रु0।।
केशव स्वामी
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
।। छप्पय ।।बोध रूप सो पुरुष महा विज्ञान उजागर।
भारतीय साहित्य पत्रिका
सूफ़ी लेख
समर्थ गुरु रामदास- लक्ष्मीधर वाजपेयी
कीं हे अमृताचे मेघ बोकले। कीं हे नवरसाचे बोध लोटले।
माधुरी पत्रिका
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राग आधारित पद
राग भैरव, चौताल- जै सारदा भवानी भारती विद्या, नाम वेद जस गावै।
कहै 'विलास' त्रय ताप मिटै,निर्बोध बोध होवै, वांछित फल पावै।।
विलास ख़ान
दकनी सूफ़ी काव्य
चेटकनी बाला लटकती आवे
चेटकनी बाला लटकती आवेबोध का प्याला लेकर रही, बेशक होकर गावे
केशव स्वामी
सूफ़ी लेख
कबीरपंथी और दरियापंथी साहित्य में माया की परिकल्पना - सुरेशचंद्र मिश्र
माया रूप आहि इमि भाई। जिमि फूल सेमर सुन्दरताई।। ज्ञानस्थिति बोध, पृ. 139
हिंदुस्तानी पत्रिका
पद
पर पुरूष की चेटकी नारी नाचती निज्यानंद ।
पर पुरूष की चेटकी नारी नाचती निज्यानंद ।बोध प्याला भर भर पीवे डुलती ब्रह्मानंद ।।ध्रु0।।
केशव स्वामी
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
क्रिय विदग्ध अरु बोध कौ याही बिधि मिलि जात।तिनि दुनहुन के भैद मैं जानि लेहु यह बात।।265।।
रसलीन
शबद
उलटमासी - जिंदड़ी दा साहिब बेली वे
'तुलसी' सोध बोध सतगुरु को ये संगत अलबेली वे
तुलसी साहिब हाथरस वाले
दोहा
विनय मलिका - ब्रह्म बिसंभर बासुदेव बिस्वरूप बलबीर
ब्रह्म बिसंभर बासुदेव बिस्वरूप बलबीरब्यास बोध बाधाहरन ब्यापक सकल सरीर
दया बाई
सूफ़ी लेख
सन्तरण कृत गुरु नानक विजय - जयभगवान गोयल
गुरु नानक विजय उदासी बोध में इन्होंने नानक विजय, मनप्रबोध, वचनसंग्रह तथा नानक बोध इन चारों रचनाओं
हिंदुस्तानी पत्रिका
दोहा
इंद्रियों का बर्णन - इन्द्रिन सूँ मन जुदा करि सुरति निरति करि सोध
इन्द्रिन सूँ मन जुदा करि सुरति निरति करि सोधउपजै ना बिष बासना 'चरनदास' कर बोध
चरनदास जी
पद
आपहि अपना बाप महतारी आपहि अपना बेटा
आपहि आप मगनमों रहेगा बोध भंगमों धुन्दानरकाया फेर न आवे नाहक़ हुआ है अंधा