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ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ून से लिखी गई है दास्तान-ए-कर्बलाबन गया है मर्सिया ज़िक्र-ओ-बयान-ए-कर्बला
शाह आयतुल्लाह क़ादरी
ना'त-ओ-मनक़बत
पढ़ते हैं सोज़-ओ-मर्सिया नालों के साथ-साथनज़्ज़ारा-बाज़ भी हैं नज़्ज़ारों के साथ-साथ
आरिफ़ नक़्शबंदी
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सूफ़ी लेख
शैख़ सा’दी का तख़ल्लुस किस सा’द के नाम पर है ?
4۔ शाइ’र कब तख़ल्लुस इख़्तियार करता है।1۔ कुतुब-ए-तारीख़ और शैख़ के कलाम से साफ़ साफ़ ज़ाहिर
एजाज़ हुसैन ख़ान
सूफ़ी लेख
अमीर खुसरो- पद्मसिंह शर्मा
ख़ुसरो की कविता में चमत्कार के साथ हृदय पर अधिकार करने की अद्भुत शक्ति भी है।
माधुरी पत्रिका
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
सोज़-ए-दिल और ज़ौक़-ए-इ’बादत का आ’लम ये था कि पिछली रात नमाज़ पढ़ने खड़े होते तो सात
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ सदरुद्दीन आ’रिफ़ रहमतुल्लाह अ’लैह
ख़ुद अमीर ख़ुसरो शहज़ादा मुहम्मद सुल्तान के साथ मुगलों की मुहिम में थे, और शहज़ादा की
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी मौसीक़ी और अमीर ख़ुसरौ
मौसीक़ी फ़ितरत की ईजाद है लिहाज़ा फ़ितरत से ही अख़ज़ करके उसको तरतीब दिया गया है