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सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
मुश्क काफूर अस्त कस्तूरी कपूर।हिंदवी आनंद शादी और सरूर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
खुसरो की हिंदी कविता - बाबू ब्रजरत्नदास, काशी
मुश्क काफूर अस्त कस्तूरी कपूर। हिंदवी आनंद शादी और सरूर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
गूजरी सूफ़ी काव्य
ज़ुलेख़ा का सिंगार
ज़ुलेख़ा के थे ऐसे बाल सर में,ना आवे मुश्क उन आगल नज़र में।
अमीन गुजराती
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो - तहज़ीबी हम-आहंगी की अ’लामत - डॉक्टर अनवारुल हसन
कि बूयश मुश्क-बार आमद चू मुलहा।।चू मा’शूक़-ए-समन पुर-नाज़ परवर्द।