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कलाम
मुख महबूब दा ख़ाना-काबा आशिक़ सजद: कर्दे हूदो ज़ुल्फ़ाँ विच नैण मुसल्ले चार मज़हब जिथ मिलदे हू
सुल्तान बाहू
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सूफ़ी लेख
हज़रत शाह-ए-दौला साहब-मोहम्मदुद्दीन फ़ौक़
एक मज़दूर को दो-चंद मज़दूरीःआ’म तौर पर मशहूर है कि हर चंद आपके पास सीम-ओ-ज़र न
सूफ़ी
सूफ़ी लेख
बाबा फ़रीद के श्लोक- महमूद नियाज़ी
आँ कज़ शकर नमक कुनद अज़ नमक शकरएक रिवायत ये भी मशहूर है कि हज़रत बाबा
मुनादी
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-मुबारक ख़्वाजा फ़रीद-उल-हक़ वद्दीन
नक़्ल है जब आप अपनी वालिदा साहिबा के शिकम में आए, वालिदा साहिबा हुज़ूर की दिन
हसरत अजमेरी
सूफ़ी लेख
आगरा में ख़ानदान-ए-क़ादरिया के अ’ज़ीम सूफ़ी बुज़ुर्ग
एक दिन हज़रत सय्यिद अपने हुज्रा-ए-ख़ास में तशरीफ़ फ़रमा थे और आपका ख़ादिम आपके दर्वाज़े पर
फ़ैज़ अली शाह
मल्फ़ूज़
जुमआ’ के रोज़ माह-ए-शव्वाल 584 हिज्री को क़दम-बोसी का शरफ़ हासिल हुआ।अहल-ए-सफ़ा हाज़िर थे और हौज़-ए-शमसी