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दोहा
बूढ़ी मूरत पीर कहावे मेरा पीर जवान
बूढ़ी मूरत पीर कहावे मेरा पीर जवान'औघट' अपने पीर की सूरत को पहचान
औघट शाह वारसी
कविता
आए हो आज भले बनि मोहन सोहति मूरत मैन मई है।
आए हो आज भले बनि मोहन सोहति मूरत मैन मई है।आरस सों रस सों अनुराग सों रूप सो रीस सो दीठ दई है।।
मीरन
पद
दर्शनानंद के पद - सखी मन स्याम मूरत बसी
सखी मन स्याम मूरत बसीमुकट कुंडल करन बंसी मंद मुख पर हँसी
मीराबाई
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ग़ज़ल
अरे दिल नुरकुटी में देख तर-ए-मूरत की मूरत कूँओही मूरत ओही सूरत ओही सब नार-ओ-नर है रे
तुराब अली दकनी
कविता
सांवलिया मन भायारे, बांके यार।
सांवलिया मन भाया रे, बांके यार।सोहिनी सूरत मोहिनी मूरत हिरदै बीच समाया रे बांके यार।
मुस्तफ़ा ख़ान यकरंग
बैत
बंदे देख ले दरहाल वे ।
तीन मूरत निरख निःचल, पैठ देख पताल वे ।मूल चक्र गनेस गैबी, रंग रूप बिसाल वे ।।
गरीब दास
पद
गुरुजी ! तोरे पैया पर सीस धरू
आपने तन की चाम निकाल के, चरण पनैया करू ।माणिक कहे तेरी मूरत प्यारी, नैनन बीच भरू ।।
मानिक महाराज
पद
तरवर एक मूल बिन ठाढ़ा बिन फूले फल लागे
पंछी के खोज अगम परगट कहै 'कबीर' बड़ी भारीसब ही मूरत बीच अमूरत मूरत की बलिहारी
कबीर
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
या रसिया की निर्मल मूरत जोति रूप बनो रीऐसे रंगीले नबी से लागी ‘नियाज़’ की मन की रोरी
सुमन मिश्र
राग आधारित पद
बृज का है यही स्वभाव मोहन मोरे नाचन लागे रे
’अबीर गुलाल लगाएहर मूरत मां श्याम को देखो