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सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
अनरस हूं रसु पाइयतु रसिक रसीली पास।जैसैं सांठे की कठिन गांठयौ भरी मिठासु।।337।।
बिहारी
कलाम
तसद्दुक़ अ’ली असद
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सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
वो नूर के गले, वो रसीली आवाज़ें, वो सच्ची तानें, वो वक़्त की रागनी ,वो सुहाना
मिर्ज़ा फ़रहतुल्लाह बेग
सूफ़ी लेख
Krishna as a symbol in Sufism
हज़रत तुराब काकोरवी फ़ारसी, अरबी आदि भाषाओं में सिद्धहस्त थे तथा इन सबकी काव्य परम्पराओं से
बलराम शुक्ल
सूफ़ी लेख
सूफ़ी ‘तुराब’ के कान्ह कुँवर (अमृतरस की समीक्षा)
हज़रत तुराब काकोरवी फ़ारसी, अरबी आदि भाषाओं में सिद्धहस्त थे तथा इन सबकी काव्य परम्पराओं से