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कलाम
फ़ुर्क़त की हज़ारों रातों से इक रात सुहानी माँगी थीजो फूल के बोझ से दब जाए इक ऐसी जवानी माँगी थी
अज्ञात
ग़ज़ल
सुने रातों कूँ गर जंगल में मेरे ग़म की वावैलातो मजनूँ क़ब्र सें उठ कर पुकारे आह या लैला
सिराज औरंगाबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ सौर की रातों की ज़िया अहमद-ए-मुख़्तारऐ सुब्ह-ए-दरख़्शान-ए-हिरा अहमद-ए-मुख़्तार
सीमाब अकबराबादी
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पद
गोंदा लड़का अजान, करे रात दिन ध्यान ।
गोंदा लड़का अजान, करे रात दिन ध्यान ।सरज होय मेहेरबान, दिया ग्यान बालक कू ।।
गोंदा महाराज
दोहरा
लंमी रात विछोड़े वाली आशिक दुखीए भाणे
लंमी रात विछोड़े वाली आशिक दुखीए भाणेकीमत जानन नैन असाडे सुखिया कदर ना जाणे
मियां मोहम्मद बख़्श
सूफ़ी कहानी
सुल्तान महमूद का एक रात चोरों के साथ शरीक रहना -दफ़्तर-ए-शशुम
एक रात को सुल्तान महमूद भेस बदल कर निकला और चोरों की जमाअ’त के साथ हो
रूमी
दोहरा
रात डेहां फ़र्याद हमेशा एहा दिल्लड़ी दरद पुकारे ।
रात डेहां फ़र्याद हमेशा एहा दिल्लड़ी दरद पुकारे ।दरद फ़राक़ हिजर कनूं हुन हर दम सोज़ दे नाअरे ।
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
शबद
नींद लड़ी नहिं आवै सारी रात किस बिध होई प्रभात
नींद लड़ी नहिं आवै सारी रात किस बिध होई प्रभातनींद लड़ी नहिं आवै सारी रात किस बिध होई प्रभात
मीराबाई
कलाम
अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई कीतुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मिरी तन्हाई की
क़तील शिफ़ाई
शे'र
चड़्ह चन्नां ते कर रुशनाई काळी रात हिजर दीशम्हा जमाल कमाल सज्जन दी आ घर बाल असाडे