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सूफ़ी उद्धरण
इंसान दो दुनियाओं का मेल है, एक है "आलम-ए-ख़ल्क़" जिस से उसका बाहरी रूप जुड़ा है और दूसरा है "आलम-ए-अम्र" जिस से उस की रूह जुड़ी है।
शैख़ अहमद सरहिन्दी
सूफ़ी उद्धरण
रूह की गहराई से निकली हुई बात रूह की गहराई तक ज़रूर जाएगी।
रूह की गहराई से निकली हुई बात रूह की गहराई तक ज़रूर जाएगी।
वासिफ़ अली वासिफ़
सूफ़ी उद्धरण
इंसान में तीन चीज़ें होती हैं: नफ़्स (मन), दिल और रूह। नफ़्स की इस्लाह शरियत से, दिल की तरीक़त से और रूह की हक़ीक़त से होती है।
मियाँ मीर क़ादरी
कलाम
दिमाग़-ओ-रूह यकसाँ चाहिएँ इंसान-ए-कामिल मेंये क्या तक़्सीम-ए-नाक़िस है ख़ुदी सर में ख़ुदा दिल में
सीमाब अकबराबादी
बैत
क्यूँ रूह को ख़राब करें जिस्म के लिए
क्यूँ रूह को ख़राब करें जिस्म के लिएजाना है ये लिबास यहीं उतार कर