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मिल के बिछड़े जो तुम हर ख़ुशी छिन गई आरज़ुओं का सारा जहाँ लुट गयारास आई न फ़ुर्क़त किसी को सनम तुम वहाँ लुट गए मैं यहाँ लुट गया
तू ने अपना बना कर नज़र फेर ली मेरे दिल का सुकूँ ना-गहाँ लुट गयामुझ को लूटा तिरे 'इश्क़ ने जान-ए-जाँ मैं तिरे 'इश्क़ में जान-ए-जाँ लुट गया
लुट गया मुल्क-ए-सुख़न ख़ाली ख़ज़ाना हो गयाD.बरकत अ’ली नजीब
कट गया कुम्बा मुसीबत सर पे आई लुट गईहो गई भाई भतीजों से जुदाई लुट गई
मिरी बे-कसी का आ’लम कोई उस के जी से पूछेमिरी तरह लुट गया हो बिछड़ के कारवाँ से
लुटلٹ
loot, plunder, rob, pillage
लुट पट पाग पचरंगा जामाचमकत है पेशानी
थी मा'शूक़ दिलीं लुट नेवेंजान करे रंजूर
लुट रहा है मिरा कारवाँरहबरों को सदा दीजिए
पहलों लुट ल्यु दिल सारीपिछे चोरी नस्स प्या
महज़ न चाढ़न तोड़नाज़ नहोरे दिलियाँ लुट कर
'घीसा' सन्त खेल रहे होरी दिल्ली लुट गई सारी
लुट गई प्रीतम की घातों में'नख़शब' है तेरे हाथों में
डे कर दलबे कूड़ दिलासेलुट नीतो दिल सारी वो यार
300. रांझाअक्खीं वेख के मरद हन चुप्प करदे, भांवें चोर ई झुग्गड़ा लुट जाए ।
क्या ख़बर बे-ख़ुदी के आ'लम मेंलुट गई दिल की काएनात कहाँ
कीजिए चश्म-ए-करम बहर-ए-हक़लुट चुकी मेरी बहार शाह-ए-दीं
दिल के हाथों लुट गए रुस्वा हुएक्या कहूँ तफ़्सील उस रूदाद की
मैं लुट गया हूँ 'मुज़फ़्फ़र' हयात के हाथोंसुनेगी किस की अदालत मुक़द्दमः मेरा
नज़र दौलत-ए-हुस्न की ताक में हैकहीं लुट न जाए ख़ज़ाना किसी का
हसरतें ख़ाक हुईं मिट गए अरमाँ सारेलुट गया कूचा-ए-जानां में ख़ज़ाना दिल का
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