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साहिब जी सुल्तान जी तुम बड़े गरीब-नवाज
साहिब जी सुल्तान जी तुम बड़े गरीब-नवाजअपना कर के राखियो सो हाथ गहे की लाज
अज्ञात
राग आधारित पद
कल्याण-मत- मैं गवने नहिं जैहौ राम।
मैं गवने नहिं जैहौ राम।सासुर मैं जो कहो भल होइये लाज संग शरमाई हूँ राम।।
क़ाज़िम वा क़ायम
राग आधारित पद
भैरवी यत- कजरवा देके हम पछतानी।
कजरवा देके हम पछतानी।पिय बिन कौन सिंगार कजरा की जब हम मीचई वानी।।
क़ाज़िम वा क़ायम
राग आधारित पद
भैरवो यत- गुरु बिन होरी कौन खेलावे कोई पथ लगावै।
गुरु बिन होरी कौन खेलावे कोई पंथ लगावै।जाका जाको निरमल कर माया मनते छुड़ावे।।
क़ाज़िम वा क़ायम
राग आधारित पद
जंगला तिताना- बटोहियां हमरा जियरा तू कहॉ लेके जइयोरे।
बटोहियां हमरा जियरा तू कहॉ लेके जइयोरे।छतीस कोटि वह तर नारी कौन गली छिप रै इयोरे।।
क़ाज़िम वा क़ायम
राग आधारित पद
दादर भूपाली- ए नये विषन भरे उर बेधत करेजो बेन
ए नये विषन भरे उर बेधत करेजो बेननहीं रन दिन इतलाल सतावे
क़ाज़िम वा क़ायम
सलोक
उपदेश- हज़ारनि जी हिक, गाल्हि बुधाई सतिगुरूअ।
हज़ारनि जी हिक, गाल्हि बुधाई सतिगुरूअ।खलिक अथी खालिक मे, खालिक मझि खलिक।
सामी
राग आधारित पद
कल्याण-मत- गुइयाँ वर जोरी कुच गहे मुख मीड़े फिर फिर आवत मोरी छुइया।
गुइयाँ वर जोरी कुच गहे मुख मीड़े फिर फिर आवत मोरी छइया।काजम अपनी ओर निवारो बरबस झगरा ठइयां।।