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दकनी सूफ़ी काव्य
ज़ाद उल अवामीन
अज़ीजों सुनो अक़ल सूँ कान धरजो पैरो शरा के दिये यों ख़बर
सय्यद मुहम्मद बीजापुरी
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सूफ़ी कहानी
एक बीमार का सूफ़ी-ओ-क़ाज़ी के चांटा लगाना- दफ़्तर-ए-शशुम
एक शख़्स तबीब के पास गया और कहा कि ज़रा मेरी नब्ज़ देख दीजिए। तबीब ने
रूमी
सूफ़ी लेख
तसव़्वुफ-ए-इस्लाम - मैकश अकबराबादी
फ़िक़्ह नाम था इ’बादत और मुआ’मलात के ज़ाहिरी अहकाम का मसलन तहारत, नमाज़,रोज़ा.ज़कात और इसके अ’लावा
मयकश अकबराबादी
सूफ़ी कहानी
मस्ख़रे की बीवी का क़ाज़ी को फ़रेब देकर अपने घर ले जाना -दफ़्तर-ए-शशुम
क़ाज़ी ने कहा कि ऐ संदूक़ ले जाने वाले ख़ुदा के लिए महकमा-ए-क़ुज़ात में मेरी ख़बर