आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "शुभ"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "शुभ"
अन्य परिणाम "शुभ"
सूफ़ी लेख
चरणदासी सम्प्रदाय का अज्ञात हिन्दी साहित्य - मुनि कान्तिसागर - Ank-1, 1956
जीदौली शुभ थांन कथा यह गाइया।गुर छौनां सतगर नैं सकल सुनाइया।।
भारतीय साहित्य पत्रिका
कवित्त
कर्मग्रन्थि वर्णन- कर्मग्रन्थि कहों ग्रन्थि वा में भूल्यो महापंथ
वरण वरण धर्म आश्रम है महाश्रमशुभा शुभ कर्म धर्म डोले डग डोल है।
स्वामी भगवानदास जी
दकनी सूफ़ी काव्य
खुशनामा
हँसा बदनी शुभ नैनी गौर बरन कोभौत सतियापन यह सत अजब माने सखी
शाह मीराजी शम्सुल शाख़
कवित्त
धेरिये तौ घेर्यो हू न आवत है मेरो पूत,
नीति न अनीति देषैं शुभ न अशुभ पेषै,पलुही मैं होती अनहोती हू करतु है।।
सुंदरदास छोटे
सूफ़ी लेख
कवि वृन्द के वंशजों की हिन्दी सेवा- मुनि कान्तिसागर - Ank-3, 1956
नवरस भाव विभाव के समझ लेहु शुभ पंथ जो लिखियें जा ग्रंथकौं जामैं सरस सुबुद्धि
भारतीय साहित्य पत्रिका
पद
सज्जन सम्बन्धी जे सुपति के तिहारे होहिं,
भाखियो सुबैन दास-दासिन सो प्रेम-संग,धारिये सु ध्यान सदा शुभ गुण गाथ मे ।
सरस्वती देवी
कृष्ण भक्ति संत काव्य
एरी अब आनंद भयो री ब्रज में श्रीकृष्ण जनम लियो आजशुभ घरी शुभ दिन महूरत प्रगट भये ब्रजराज
बैजू बावरा
कविता
आज और कल- दया सिन्धु की दया प्राप्त कर हुए अगर तु धन शाली।
महालसी हाकर हे भाई कभी न अपयश सिर लेना।कल की बात त्याग शुभ कृति में दान आज ही दे देना।।
सय्यद अमीर अली मीर
सूफ़ी लेख
अल-ग़ज़ाली की ‘कीमिया ए सआदत’ की दूसरी क़िस्त
जीव के चार प्रकार के स्वभावयाद रखो, इस शरीर में जितने स्वभाव पाये जाते हैं उन