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कलाम
सच है शह-रग से क़रीं अल्लाह मियाँ है रे मियाँतुझ में ये माद्दा समझने का कहाँ है रे मयाँ
अज़ीज़ुद्दीन रिज़वाँ क़ादरी
सूफ़ी उद्धरण
झूटा आदमी अगर सच बोले तो वो सच बे-असर हो जाएगा।
झूटा आदमी अगर सच बोले तो वो सच बे-असर हो जाएगा।
वासिफ़ अली वासिफ़
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व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- पहली दास्तान
सच-सच जवाब देता है चिल्ला-चिल्ला करः"माना, अमीर है ताक़तवर, क़ायम है अभी निहंग-सिपर,
लियोनिद सोलोवयेव
दकनी सूफ़ी काव्य
मसनवी दर फ़वायद बिस्मिल्ला
कहा सच कही तूने बीबी ये बातमिले शाह को ऐसा कब तोहफ़ाजात
गुलामनबी हैदराबादी
दकनी सूफ़ी काव्य
तूतीनामा- चुन उस गोहराँ के समन्द का गम्भीर
वफ़ादार हो वफ़ादार सूँलगी सच उसे सू दिल को सूआ की बात
मुल्ला ग़व्वासी
दकनी सूफ़ी काव्य
इशारतुल ग़ाफ़िलीन
कहा फिर किते वक़्त के बाद फिरअहै सच तुमें कहूँ ऐ दस्तगीर