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शे'र
साँस में आवाज़-ए-नय है दिल ग़ज़ल-ख़्वाँ है 'ज़हीन'शायद आने को है वो जान-ए-बहाराँ इस तरफ़
ज़हीन शाह ताजी
दोहा
'औघट' चेला वह गुणी जो बिन गुरु तजै न साँस
'औघट' चेला वह गुणी जो बिन गुरु तजै न साँससोते जगते ध्यान रहे गुरु को राखे पास
औघट शाह वारसी
सवैया
नेत्रोपालम्भ - घर ही घर घैरु घनो घरिही घरिहाइनि आगै न साँस भरौं
घर ही घर घैरु घनो घरिही घरिहाइनि आगै न साँस भरौंलखि मेरियै ओर रिसाहि सबै सतराहिं जौ सौ है अनेक करौ
रसखान
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
जाइ सो तहां साँस मन बंधी। जस धँसि लीन्ह कान्ह कालिंदी।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
राग आधारित पद
कुमारी, तिताला- षरज सुर साधै, सोई गुनी जो सुद्ध मुद्रा सुद्ध बानी
करत कंठ प्रकास उक्ति-युक्त-अनुप्रास,तब बढ़त घटत साँस गुरन तैं भेद पावै।
सुरतिसेन
सूफ़ी लेख
क़व्वालों के क़िस्से
तू फ़ना नही होगा ये खयाल झूठा हैसाँस टूटते ही सब रिश्ते टूट जायेंगे