आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "साहब-ए-निसाब"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "साहब-ए-निसाब"
ना'त-ओ-मनक़बत
निसाब-ए-हक़ है यक़ीनन तिरा निसाब मुई'नपढ़ा है जिस ने तुझे वो है कामयाब मुई'न
हबीबुल्लाह साग़र वारसी
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "साहब-ए-निसाब"
सूफ़ी लेख
ख़्वाजा साहब पर क्या कहती हैं पुरानी किताबें?
हिन्दोस्तान में सिलसिला-ए-तसव्वुफ़ का चराग़ कई सदियों से रौशन है। इसकी अज़्मत के तज़्किरे भरे पड़े
रय्यान अबुलउलाई
दोहरा
किबला ख़्वाजा नूर मुहमद साहब शहर मुहारां ।
क़िबला ख़्वाजा नूर मुहमद साहब शहर मुहारां ।हिन्द सिंध पंजाब दे विच्च चा कीतो फैज़ हज़ारां ।
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
अरिल्ल
अरिल छंद - आपु करहु नर साफ़ साहब सत भावई
आपु करहु नर साफ़ साहब सत भावईनिसु बासर करि प्रेम राम गुन गावई
गुलाल साहब
दोहरा
मुलतानी धनासिरी, एकताला- या हज़रत ख़्वाजा कुतुब साहब, मेरी सुन के नेक न
या हज़रत ख़्वाजा कुतुब साहब, मेरी सुन के नेक न“शाहे-आलम” ख़ादिम तुम्हरो तुम सूं मांगे माल मुल्क
शाह आलम सानी
गूजरी सूफ़ी काव्य
साहब मेरा खड़ा बकोनाँ
साहब मेरा खड़ा बकोनाँजियूँ काथी बिन पात और चूना
क़ाज़ी महमूद दरियाई
ग़ज़ल
शहीद-ए-इ’श्क़-ए-मौला-ए-क़तील-ए-हुब्ब-ए-रहमानेजनाब-ए-ख़्वाजः क़ुतुबुद्दीं इमाम-ए-दीन-ओ-ईमाने
वाहिद बख़्श स्याल
सूफ़ी कहावत
रू-ए ज़ेबा मरहम-ए-दिलहा-ए-ख़स्ता अस्त-ओ-कलीद-ए-दरहा-ए-बस्ता
एक ख़ूबसूरत चेहरा दुखी दिलों के लिए मरहम की तरह होता है, और बंद दरवाजों के लिए कुंजी
वाचिक परंपरा
ना'त-ओ-मनक़बत
गुल-ए-बुस्तान-ए-मा'शूक़ी मह-ए-ताबान-ए-महबूबीनिज़ामुद्दीन सुल्तान-उल-मशाइख़ जान-ए-महबूबी