ऐ बे-ख़बर ब-कोश कि साहब ख़बर शवी
ता राह-रौ न-बाशी तू कै राहबर शवी
ऐ अज्ञानी! प्रयत्न कर ताकि तेरा अज्ञान दूर हो जावे। जब तक तू स्वयम् इस मार्ग पर नहीं चलेगा दूसरों के लिये क्या रास्ता बतावेगा।
दस्त अज़ मस-ए-वजूद चु मर्दान-ए-रह ब-शोई
ता कीमिया-ए-इश्क़ ब-याबी व ज़र शवी
तू सिर से लेकर पैर तक ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित हो उठेगा। पर यह होगा तभी जब तू परमेश्वर के मार्ग में निज को घुला देगा।
ख़्वाब-ओ-ख़ुरत ज़े-मर्तब:-ए-ख़्वेश दूर कर्द
अंगह रसी बख़्श कि बे-ख़्वाब-ओ-ख़ुर शवी
उस समय यदि तेरा जीवन विनष्ट भी हो जाए तो तुझे यह न समझना चाहिये कि तू नाश को प्राप्त हो गया। यदि तू ऐसा समझ लेगा तो वास्तव में तू नष्ट ही हो जाएगा।
गर नूर-ए-इ'श्क़-ए-हक़ ब-दिल-ओ-जानत ऊफ़तद
बिल्लाह कज़ आफ़ताब-ए-फ़लक ख़ूब-तर शवी
ऐ डरपोक दिल! तू सत्य की पाठशाला में प्रेम को अपना गुरु बनाकर विद्या प्राप्त करने का प्रयत्न कर, ऐसा करने से तुझे एक दिन पिता बनने का पद प्राप्त हो सकता है।
अज़ पाए ता-सरत हम: नूर-ए-ख़ुदा शवद
दर राह-ए-ज़ुल-जलाल चू बे-पा-ओ-सर शवी
वज्ह-ए-ख़ुदा अगर शवदत मंज़र-ए-नज़र
ज़ीं पस शके न-मानद कि साहब-नज़र शवी
बुनियाद-ए-हस्ती-ए-तु चू ज़ेर-ओ-ज़बर शवद
दर दिल मदार हेच कि ज़ेर-ओ-ज़बर शवी
दर मक्तब-ए-हक़ायक़ ब-पेश-ए-अदीब-ए-इश्क़
हाँ ऐ पिसर ब-कोश कि रोज़े पिदर शवी
गर दर सरत हवा-ए-विसाल-अस्त 'हाफ़िज़ा'
बायद कि ख़ाक दर गह-ए-अहल-ए-हुनर शवी
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