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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
घसि चोआ चंदन बहु सुगंध।।पूजन चाली ब्रह्म ठाँय।
हिंदुस्तानी पत्रिका
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हिंडोलना
।। हिंडोलना ।।
परम सुख परमांन परमल, सरस सुगंध सनेह।।अघटा घटा घटा घट घट, निराकार निज देह।।
जगजीवन दास जी
महाकाव्य
।। रसप्रबोध ।।
तन अमोल कुंदन बरन सुभ सुगंध सुकुमारि।सूछम भजोन रोस रति सो पदमिनी निहारि।।469।।
रसलीन
सूफ़ी लेख
When Acharya Ramchandra Shukla met Surdas ji (भक्त सूरदास जी से आचार्य शुक्ल की भेंट) - डॉ. विश्वनाथ मिश्र
सीतल मंद सुगंध पवन बहे, रोम रोम सुखदाई।।जमुना-पुलिन पुनीत, परम रुचि, रचि मंडली बनाई।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
करि कटाच्छु मो और भोर बिनती सुनि हा हा।।3।। सहज सचिक्कन स्यामरुचि सुचि सुगंध सुकुमार।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
सहज सचिक्कन स्याम-रुचि सुचि सुगंध सुकुमार।गनतु न मनु पथु अपथउ लखि बिथरे सुथरे बार।।95।।
बिहारी
सूफ़ी लेख
अबुलफजल का वध- श्री चंद्रबली पांडे
वीरसिंह कौ बाढी सौह, पारस सौं परस्यौ ज्यौं लौह। परम सुगंध नीम है जाय, जैसैं मलयाचल कौ पाइ।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
उ’र्फ़ी हिन्दी ज़बान में - मक़्बूल हुसैन अहमदपुरी
जो मधुमास की टलियाँ का भेदी है मन में उस केफूल सुगंध की इस पतझड़ में भी आशा सब बाक़ी है
ज़माना
सूफ़ी लेख
रामावत संप्रदाय- बाबू श्यामसुंदर दास, काशी
कस जाइये रे घर लागो रंग। मेरा चित न चलै मन भयो पंग।। एक दिवस मन गई उमंग। घसि चंदन चोआ बहु सुगंध।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
दोहा
विनय मलिका - मलयागिर के निकट हीं सब चंदन हो जात
मलयागिर के निकट हीं सब चंदन हो जातछूटै करम कुबासना महा सुगंध महकात
दया बाई
सूफ़ी कहावत
दाना चूं तबला-ए-अत्तार अस्त, ख़ामोश-ओ-हुनर नुमाये
ज्ञानी व्यक्ति संग्रहित इत्रों की तरह होता है - चुप रहता है लेकिन गुणों की सुगंध बांटता है।
वाचिक परंपरा
पद
दैन्य भाव- तुम चंदन हम इरंड बापुरे संगि तुमारे बासा
तुम चंदन हम इरंड बापुरे संगि तुमारे बासानीच रूप ते ऊँच भए हैं गंध सुगंध निवासा