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ना'त-ओ-मनक़बत
पासबाँ रूहुल-अमीं जिस की हयात-ओ-मौत काताबे-ए’-हुक्म-ए-इमामत काइनात-ए-दो-जहाँ
अख़्तर महमूद वारसी
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कलाम
आग़ोश-ए-हयात-ओ-मौत में वो सोता है कभी उठता है कभीबीमार-ए-मोहब्बत को तेरे मर-मर के जीना आता है
नाज़ाँ शोलापुरी
सूफ़ी साहित्य
मौत-ए-अब्यज़
ना'त-ओ-मनक़बत
हयात-अफ़्ज़ा निगार-ए-शहर-ए-सरकार-ए-मदीना हैसहाब-ए-रहमत-ए-बारी यहाँ हर दम बरसता है
वासिफ़ रज़ा वासिफ़
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह हयात अहमद फ़िरदौसी
गूजरी सूफ़ी काव्य
ज़ुलेख़ा का विलाप (यूसुफ़ की मौत पर)
जो उस कन मौत के मैं वक़्त आती,नैन के नीरसुं उस को बहलाती।
अमीन गुजराती
दोहरा
बुल्ल्हआ काज़ी राज़ी रिशवते, मुल्लां राज़ी मौत ।
बुल्ल्हआ काज़ी राज़ी रिशवते, मुल्लां राज़ी मौत ।आशक राज़ी राग ते, ना परतीत घट होत ।
बुल्ले शाह
दोहा
बुल्लया काज़ी राज़ी रिश्वते, मुल्लां राज़ी मौत
बुल्लया काज़ी राज़ी रिश्वते, मुल्लां राज़ी मौत ।आशिक़ राज़ी राम ते, न परतीत घट होत ।।
बुल्ले शाह
सूफ़ी उद्धरण
मौत से ज़्यादा ख़ौफ़-नाक चीज़ मौत का डर है।
मौत से ज़्यादा ख़ौफ़-नाक चीज़ मौत का डर है।