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Sufinama

हयात-अफ़्ज़ा निगार-ए-शहर-ए-सरकार-ए-मदीना है

वासिफ़ रज़ा वासिफ़

हयात-अफ़्ज़ा निगार-ए-शहर-ए-सरकार-ए-मदीना है

वासिफ़ रज़ा वासिफ़

MORE BYवासिफ़ रज़ा वासिफ़

    हयात-अफ़्ज़ा निगार-ए-शहर-ए-सरकार-ए-मदीना है

    सहाब-ए-रहमत-ए-बारी यहाँ हर दम बरसता है

    दयार-ए-सय्यद-ए-कौनैन को रिफ़अ'त मिली ऐसी

    कि औज-ए-आसमाँ भी जिस के आगे सर-निहाद है

    ज़िया-ए-ज़र्रा-ए-महबूब-ए-दो-आ’लम से

    जबीन-ए-माह-ए-दो-हफ़्ता की तलअ'त रशक-अफ़्ज़ा है

    शहंशाह-ए-मदीना की मोहब्बत सब पे ग़ालिब हो

    मुसलमानो कमाल-ए-मोमिनीयत का तक़ाज़ा है

    तलब-गार-ए-नवेद-ए-जन्नत-उल-फ़िरदौस में भी हों

    मुझे उन की गली में जा के मरने की तमन्ना है

    फड़कती है रग-ए-मिदहत लवा-ए-ना'त के नीचे

    गिरोह-ए-हज़रत-ए-हस्साँ से मेरा भी इ’लाक़ा है

    तलब से भी सिवा पाते हैं आकर साइलीन-ए-दहर

    हमेशा जोश पर बहर-ए-अ’ता-ए-शाह-ए-तैबा है

    मय-ए-हुब्ब-ए-शह-ए-बग़दाद की तासीर मत पूछो

    उतरे ज़िंदगी भर उस के अंदर ऐसा नश्शा है

    हुआ जो भी असीर-ए-गेसू-ए-वल्लैल 'वासिफ़'

    वो ज़िंदान-ए-ग़म-ओ-आलाम से आज़ाद रहता है

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