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Sufinama

मोहताज पे अपनी एक नज़र या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

शाह हयात अहमद फ़िरदौसी

मोहताज पे अपनी एक नज़र या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

शाह हयात अहमद फ़िरदौसी

MORE BYशाह हयात अहमद फ़िरदौसी

    रोचक तथ्य

    منقبت در شان مخدومِ جہاں شیخ شرف الدین احمد یحییٰ منیری (بہار شریف-نالندہ)

    मोहताज पे अपनी एक नज़र या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

    दर छोड़ के तेरा जाएँ किधर या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

    मुश्ताक़ की अपने ले लो ख़बर आशुफ़्ता जाँ है जाएँ किधर

    अब लुत्फ़-ओ-करम से देखो इधर या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

    किस शोर का तूफ़ाँ है बरपा हम किस से कहें अल्लाह अल्लाह

    है मौज से कश्ती ज़ेर-ओ-ज़बर या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

    हो जाए अभी दिल रश्क-ए-जिनाँ खुल जाएँ ये दिल की सब कलियाँ

    जाओ जो तुम घर मेरे अगर या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

    फिर देखो तमाशा-ए-मस्ती सरशार-ए-मोहब्बत को जो भी

    तुम जाम-ए-मोहब्बत दे दो अगर या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

    क्यूँ रब्त किसी का मुझ से 'हयात' इक चश्म-ए-ज़दन में छूट गया

    हैरानी कि मेरे ले लो ख़बर या शाह-ए-शरफ़ या पीर-ए-शरफ़

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