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ना'त-ओ-मनक़बत
ऐ बे-नियाज़-ए-मालिक मालिक है नाम तेरामुझ को है नाज़ तुझ पर मैं हूँ ग़ुलाम तेरा
शाह अकबर दानापूरी
ना'त-ओ-मनक़बत
'अली के नाम की 'अज़्मत सिफ़ात-ए-इस्म-ए-आ’ज़म है'अली ही 'इल्म की तौक़ीर का हुस्न-ए-मुजस्सम है
ख़्वाजा शायान हसन
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ना'त-ओ-मनक़बत
'इश्क़-ए-नबवी क्या है कौनैन की दौलत हैये जिस को मयस्सर है वो साहेब-ए-क़िस्मत है
कामिल शत्तारी
फ़ारसी कलाम
ऐ कि शर्ह-ए-वज़्ज़ुहा आमद जमाल-ए-रू-ए-तूनुक्तः-ए-वल्लैल वस्फ़-ए-ज़ुल्फ़-ए-अ’म्बर बू-ए-तू
अमीर हसन अला सिज्ज़ी
ना'त-ओ-मनक़बत
न तख़्त-ओ-ताज की ख़्वाहिश न दौलत पर नज़र रखोनज़र के सामने बस उस्वा-ए-ख़ैर-उल-बशर रखौ
रईस अहमद नोमानी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ बाद-ए-मुश्क-बू ब-गुज़र सू-ए-आँ-निगारब-कुशा गिरह ज़े-ज़ुल्फ़श व बू-ए-ब-मन बयार
हाफ़िज़
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़्वाजा शायान हसन
ना'त-ओ-मनक़बत
'अली का नाम हर अहल-ए-वफ़ा की शान-ओ-शौकत है'अली मुर्तज़ा फ़ख़्र-ए-उमम राह-ए-हिदायत है