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फ़ारसी कलाम
साक़ी बिया कज़ फ़ैज़-ए-मय दारम हवस-हा दर बग़लता कै निहाँ दारी ज़े-मन ईं जाम-ओ-मीना दर बग़ल
शाह तुराब अली क़लंदर
ग़ज़ल
पाता नहीं बग़ल में दिल-ए-दिलबर-ए-मा कुजा ब-रफ़्तकह दो कोई तबीब से जान-ए-अ'ज़ीज़-ए-मा ब-रफ़्त
आग़ा मुहम्मद दाऊद
फ़ारसी कलाम
दारम दिले अम्मा चे दिल सद गून: हिरमाँ दर बग़लचश्मे-ओ-ख़ूँ दर आस्तीं अश्के-ओ-तूफ़ाँ दर बग़ल
जान मुहम्मद क़ुदसी
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सलोक
फ़रीदा इट सिराने गोर घर कीड़ा पवसी मासि
फ़रीदा इट सिराने गोर घर कीड़ा पवसी मासिकितड़्यां जुग जानगे पया इकतु पासि
बाबा फ़रीद
सलोक
फ़रीदा दर भीड़ा घर संकड़ा गोर निबाहू नितु
फ़रीदा दर भीड़ा घर संकड़ा गोर निबाहू नितुदेख फ़रीदा जो थिया सो कलि चले मितु
बाबा फ़रीद
दोहा
उपदेश गुरू भक्ति का - अपना करि सेवन करैं तीन भाँति गुर देव
अपना करि सेवन करैं तीन भाँति गुर देवपंजा पच्छी कुंज मन कछुवा दृष्टि जु भेव
चरनदास जी
पद
स्वजीवन के पद - म्हाँरे गुरु गोविंद री आन गोर ने ना पूजाँ
म्हाँरे गुरु गोविंद री आन गोर ने ना पूजाँऔरज पूजे गोरज्याजी थे क्यूँ पूजो न गोर
मीराबाई
सलोक
फ़रीदा गुर बिन न वड्याईआं धन जोबन असगाह
फ़रीदा गुर बिन न वड्याईआं धन जोबन असगाहखाली सले धनी स्यु टिबे ज्यु मियाह
बाबा फ़रीद
सलोक
फ़रीदा सुता है ताँ जाग घना सवसीं गोर महं
फ़रीदा सुता है ताँ जाग घना सवसीं गोर महंबिन अ'मलाँ सोहाग गलीं रब्ब ना पाईअह
बाबा फ़रीद
भजन
हर-हर करे औ गुर को देखे उस को मिलता प्यारा है
हर-हर करे औ गुर को देखे उस को मिलता प्यारा हैहर-हर करे औ गुर को देखे उसको मिलता प्यारा है
अब्दुल समद
शे'र
जीवन की उलझी राहों में जब घोर अंधेरा आता हैहाथों में लिए रौशन मशअ'ल तो गुरु हमारे मिलते हैं
अब्दुल हादी काविश
बैत
क्या देखते हो ग़ौर से माज़ी का आईना
क्या देखते हो ग़ौर से माज़ी का आईनाधुँदला गया है वक़्त के गर्द-ओ-ग़ुबार में