आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "chand mumtaz shuara e sambhal volume 001 ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "chand mumtaz shuara e sambhal volume 001 ebooks"
ग़ज़ल
रह-ए-इ’श्क़ से गुज़रना दिल-ए-मुज़्तरिब सँभल करयहाँ क़ाफ़िले लुटे हैं फ़क़त एक गाम चल कर
अज़ीज़ वारसी देहलवी
ग़ज़ल
संजर ग़ाज़ीपुरी
अन्य परिणाम "chand mumtaz shuara e sambhal volume 001 ebooks"
दोहरा
सँभल खेत मियाँ इ'श्क़े दा
सँभल खेत मियाँ इ'श्क़े दा हुन निकली तेग़ म्यानोंखा मर ज़हर प्यारी करके जे लई हई एस दुकानों
हाशिम शाह
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ ज़ाहिदाँ ऐ ज़ाहिदाँ ता चंद ज़ीं तदबीर-हाऐ ग़ाफ़िलाँ ऐ ग़ाफ़िलाँ ता चंद ज़ीं हिर्स-ओ-हवा