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ना'त-ओ-मनक़बत
'इश्क़-ए-नबवी क्या है कौनैन की दौलत हैये जिस को मयस्सर है वो साहेब-ए-क़िस्मत है
कामिल शत्तारी
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सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती - डॉक्टर ज़हीर अहमद सिद्दीक़ी
आज जिस मौज़ूअ’ पर दा’वत-ए-फ़िक्र दी गई है वो “अमीर ख़ुसरो और इन्सान-दोस्ती का मौज़ूअ’ है
फ़रोग़-ए-उर्दू
बैत
ए सुब्ह-ए-सआ'दत ज़े-जबीं तू हुवैदा
ए सुब्ह-ए-सआ'दत ज़े-जबीं तू हुवैदाईं हुस्न चे हुस्न अस्त तबारक तआ'ला
फरोग़ वारसी
सूफ़ी लेख
अमीर ख़ुसरो बुज़ुर्ग और दरवेश की हैसियत से - मौलाना अ’ब्दुल माजिद दरियाबादी
ख़ालिक़-बारी का नाम भी आज के लड़कों ने न सुना होगा। कल के बूढ़ों के दिल
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
हिन्दुस्तानी तहज़ीब की तश्कील में अमीर ख़ुसरो का हिस्सा - मुनाज़िर आ’शिक़ हरगानवी
जब हम हिन्दुस्तान की तहज़ीब का मुतालिआ’ करते हैं तो देखते हैं कि तरह तरह के
फ़रोग़-ए-उर्दू
सूफ़ी लेख
क़व्वाली में उर्दू हिन्दी की इब्तिदा
फ़ार्सी-दाँ हल्क़ों में क़व्वाली की मक़्बूलियत के बाद मूजिद-ए-क़व्वाली हज़रत अमीर ख़ुसरौ को एक ऐसा अहम
अकमल हैदराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
कोई हम-पाया न सानी तिरा कौनैन में हैतुझ सा बे साया नज़र आया न दारैन में है