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ना'त-ओ-मनक़बत
सख़ा-ए-ख़्वाजा-ए-ख़ानून का है तज़्किरा घर-घरकोई ख़ाली नहीं जाता है है इस दरबार में आकर
ख़्वाजा नाज़िर निज़ामी
ना'त-ओ-मनक़बत
रहमतों वाले नबी ख़ैर-उल-वरा का तज़्किराकीजिए हर वक़्त महबूब-ए-ख़ुदा का तज़्किरा
अ'ब्दुल सत्तार नियाज़ी
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ग़ज़ल
चराग़-ए-जहाँ में ऐ गुल जो कुछ कि है सो तू हैशम्साद-ओ-सर्व-ए-सुंबुल जो कुछ कि है सो तू है
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
ना'त-ओ-मनक़बत
नय्यर-ए-बुर्ज-ए-इमामत आ रहा है अर्ज़ परजिस के नूर-ए-पाक से रौशन जहाँ होने को है
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ग़ज़ल
गुल-बदामाँ गुल सरापा गुल ही गुल है ख़ू-ए-दोस्तबल्कि वो गुल ही नहीं जिस में न हो ख़ुशबू-ए-दोस्त
महमूद आलम
ग़ज़ल
रहा करता है अक्सर तज़्किरा बर्बादी-ए-दिल कामैं बिगड़ा हूँ तो अफ़्साना बना हूँ उन की महफ़िल का
अफ़सर सिद्दीक़ी अमरोहवी
शे'र
सर-ओ-बर्ग-ए-ख़ुशी ऐ गुल-बदन तुझ बिन कहाँ मुझ कोगुलिस्तान-ए-दिल आया फ़ौज-ए-ग़म की पाएमाली में
मीर मोहम्मद बेदार
शे'र
शैदा-ए-रू-ए-गुल न हैं शैदा-ए-क़द्द-ए-सर्वसय्याद के शिकार हैं इस बोसताँ में हम
ख़्वाजा हैदर अली आतिश
रूबाई
ऐ अज़ रुख़-ए-तू शगुफ़्त: ख़ातिर गुल-ए-सुर्ख़बातिन हम: ख़ून-ए-दिल-ओ-ज़ाहिर गुल-ए-सुर्ख़
सरमद काशानी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़ामिस-ए-अहल-ए-किसा 'इत्र-ए-गुल-ए-तहीर भीरूह-ए-महबूब-ए-ख़ुदा हैदर-नुमा आने को है