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ना'त-ओ-मनक़बत
ख़्वाजा नासिरुद्दिन चिश्ती
ना'त-ओ-मनक़बत
'इश्क़ के दफ़्तर में पहले हम्द हो अल्लाह काहर सतर में तब खुलेगा मा'नी वजहुल्लाह का
अफ़ज़ल हुसैन अस्दक़ी
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शे'र
कोई रश्क-ए-गुलिस्ताँ है तो कोई ग़ैरत-ए-गुलशनहुए क्या क्या हसीं गुलछर्रः पैदा आब-ओ-गिल से
शाह अकबर दानापूरी
ना'त-ओ-मनक़बत
हैं नूर-ए-अहमद-ओ-दावर अ'ली हैदर अ'ली हैदरज़िया-ए-अख़तर-ओ-ख़ावर अ'ली हैदर अ'ली हैदर
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
जान-ए-जान-ए-मुस्तफ़ा-ओ-मुर्तज़ा आने को हैसय्यदा की गोद में इक मह-लक़ा आने को है
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
ज़ुल्म-ओ-सितम का पैकर-ए-संगीन है यज़ीदरहम-ओ-करम का बे-कराँ दरिया हुसैन हैं
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
विला-ओ-औलिया में औला-ओ-वाला अ'ली मौलाखुला ये मा'नी-ए-क़ुरआँ ग़दीर-ए-ख़ुम की महफ़िल में
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
शाह तस्लीम-ओ-रज़ा वो हैं इमाम-ए-'आशिक़ाँसर-ख़ोशान-ए-इ'श्क़ की महफ़िल जवाँ होने को है
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
बैत
मुर्शिद के फ़ैज़ से तिरा नाम-ओ-वक़ार है
मुर्शिद के फ़ैज़ से तिरा नाम-ओ-वक़ार हैतुझ से को वर्ना कोई कभी पूछता न था
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
दुनिया में तिरा फ़ैज़ सुकून-ए-दिल-ओ-जाँ हैकाम आएगी महशर में तिरी पुश्त-पनाही