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फ़ारसी सूफ़ी काव्य
दिलम अज़ फ़र्त-ए-शौक़-ए-वस्ल-ए-आँ जानानः मी-रक़्सद
कि परवानः ब-पेश-ए-शम्अ’ बे-ताबानः मी-रक़्सद
शाह अकबर दानापूरी
राग आधारित पद
राग मलार- ऐसे जन धनि जननी जिहि जाये
ऐसे जन धनि जननी जिहि जाये
दूसर कुल में भक्ति नहीं थी
सहजो बाई
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फ़ारसी कलाम
दिलम ब-रुबूद जानाने कि आने दिल-सिताँ दारद
शक्कर-लब ख़ंदः-नमकीने ख़ुमार-ए-मय-कशाँ दारद
मुश्ताक़
कलाम
ये असीर-ए-रंज-ओ-राहत में असीर-ए-ज़ुल्फ़-ए-जानाना
भला क्या समझ सकेगा मुझे ना समझ ज़माना
अब्दुल हादी काविश
फ़ारसी कलाम
दिल रा अ'बस ब-फ़ुर्क़त-ए-जानान: सोख़्तेम
ग़ाफ़िल कि ऊ ब-ख़ान:ई व मा ख़ान: सोख़्तेम
अज़ीज़ लखनवी
फ़ारसी कलाम
जाँ ब-जानाँ दादम व जानान: ख़ुद रा याफ़्तम
दर ज़दम अज़ बहर-ए-ख़ुद दर ख़ान: ख़ुद रा याफ़्तम
इब्न-ए-यमीन
ग़ज़ल
शब कि महफ़िल में बुतों की शम्अ'-रू जानाना था
'इश्क़ की परवानगी से दिल मिरा परवाना था