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कलाम
तेरे मय-ख़ाना में ऐ साक़ी ये कैसा जोश हैदेखिए जिस रिंद को भी बे-ख़ुद-ओ-मदहोश है
अब्दुल हादी काविश
सूफ़ी लेख
जदीद क़व्वाली पर जोश मलीहाबादी, फ़िराक़ गोरखपूरी और कैफ़ी का असर
मुशाइ’रों में शाइ’र की कामयाबी का दार-ओ-मदार अच्छे कलाम के साथ अच्छे तरन्नुम या तहत-अल-लफ़्ज़ के
अकमल हैदराबादी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
जोश-ज़द बाज़ जुनूँ चाक-ए-गरेबाँ मददेतपिश-ए-दिल मददे राह-ए-बयाबाँ मददे
शाह सुलैमान फुलवारवी
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विषय
आ’शिक़
आशिक़
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कलाम
नाज़ाँ शोलापुरी
ग़ज़ल
उस की बहार-ए-हुस्न का दिल में हमारे जोश हैफ़स्ल-ए-बहार जिस के हाँ एक ये गुल-फ़रोश है
ख़्वाजा मीर दर्द
ग़ज़ल
जुनूँ के जोश में इंसाँ रुस्वा हो ही जाता हैगरेबाँ फाड़ने से फ़ाश पर्दः हो ही जाता है

