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कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कधी मोहतिया मोह न आवे 'औघट' कौने काजकुबरी ऐसी प्रीत करो कि मिलें कृष्ण-महराज
औघट शाह वारसी
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सूफीनामा शब्दकोश
kiina
कीनाکینہ
malice, hatred, rancour, enmity
द्वेेष
वह शत्रुता जो दिल में रहे, द्वेष, खुस, अमर्ष, “अय ज़हे रंजिश ! कि क़ल्बे यारकी मंज़िल में है। रुतबा देखो मेरे ‘कीने' का कि उनके दिल में है।
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शबद
बिरह और प्रेम का अंग - मोरा पिया बसै कौने देस हो
मोरा पिया बसै कौने देस हो मोरा पिया बसै कौने देस होअपने पिया के ढूँढ़न हम निकसीं कोइ न कहत सनेस हो
महात्मा धनी धर्मदास जी
काफी
वाह वाह वाहदत कीना शोर अनहद बांसरी दी घंगोर
वाह वाह वाहदत कीना शोर अनहद बांसरी दी घंगोरअसाँ हुन पाइआ तखत लाहौर मेरे घर आया पिया हमारा
बुल्ले शाह
पद
ब्रजभाव के पद - प्रीत निभाना रे काना प्रीत निभाना ए-जी म्हाँने बिसर नहि जाना
प्रीत निभाना रे काना प्रीत निभानाए-जी म्हाँने बिसर नहि जाना
मीराबाई
नज़्म
बिंदिया
लूँगा झाड़ी अभी ले लूँगा मैं इक इक कर केकोने कोने की ज़मीं जिस घड़ी वो देख चुके
संजर ग़ाज़ीपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
इस कोने से उस कोने तक बिखरी है ख़ुश्बू देखो तोफ़ज़्ल-ए-ख़ुदा से गुलशन महका सदरुद्दीन बुख़ारी का
हाफ़िज़ ख़ुर्शीद आलम
दोहा
'रहिमन' अती न कीजिये गहि रहिए निज कानि
'रहिमन' अती न कीजिये गहि रहिए निज कानिसैंजन अति फूले तऊ डार पात की हानि
रहीम
शबद
सावन व हिण्डोला - जबतें लगन लगी री तब तें कानि काह की सखी री
जबतें लगन लगी री तब तें कानि काह की सखी रीमैं प्यासी अपने पिय के री बिन पिय प्यास मिटै न सखी री
जगजीवन साहेब
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
थी कोने कोने ख़ुश-वक़्ती और तबले ताल खटकते थेकोई नाच रही कोई कूद रही कोई हँस हँस के कुछ रूप सजे