सावन व हिण्डोला - जबतें लगन लगी री तब तें कानि काह की सखी री
सावन व हिण्डोला - जबतें लगन लगी री तब तें कानि काह की सखी री
जगजीवन साहेब
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रोचक तथ्य
जबतें लगन लगी री, तब तें कानि काह की सखी री
जबतें लगन लगी री तब तें कानि काह की सखी री
मैं प्यासी अपने पिय के री बिन पिय प्यास मिटै न सखी री
कामिनि दुइ कर घर चरन पर सीस नवाइ मनावै सखी री
पिय तौ गुरु गँभीर कहावहिं जिय में दरद न आनें सखी री
मान गुमान तज्यो है सखी री पिय के निकट बसी री सखी री
पिय का बदन निहारत सुख भा अनत न चित्त घरयो है सखी री
मधुकर पुहुप बास कहँ भेंटै चाखत सुधि बिसरी री सखी री
'जगजीवन' साईँ की छबिहीं देखि कै मस्त भई री सखी री
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