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पद
नाम-माहात्म्य के पद - राम नाम रस पीजै मनुआँ, राम नाम रस पीजै
हरि चर्चा सुनि लीजैकाम क्रोध मद लोभ मोह कूँ बहा चित से दीजै
मीराबाई
पद
पढ़ीऐ गुनीऐ नामु सभु सुनीऐ अनभउ भाउ न दरसै
देव संसै गाँठि न छूटैकाम क्रोध माइआ पद मतसर इह पंचहु मिलि लूटै
रैदास
पद
सद्गुरू-महिमा के पद - में तो राम जी रतन धन लास्याँ ये माँ
काम क्रोध विरोध ने तजस्याँ येमें तो शील संतोष हृदय लास्याँ ये माँ
मीराबाई
कुंडलिया
बीज बासना को जरै तब छूटै ससार
काम क्रोध को जारि तजै सब भोग बिलासासदा रहै निवृत्त चित्त ना अंतै जावै
पलटू साहेब
शबद
दूजा नहीं बिगोना आप समझ ले तू भाई
वाद विवाद झगड़े को त्यागी हो जागी रोशनाईतेरे दुश्मन तुझमें रहते काम क्रोध ललचाई
अवगतदास
शबद
चेतावनी का अंग - लागो रंग झूठो खेल बनाया
मोर तोर छूटत नहिं कबहीं काम क्रोध अरु मायाआतम राम नहीं पहिचानत भोंदू जन्म गँवाया
गुलाल साहब
पद
दिल की दिलमो रहि गयी बात अबि है बनि परभात
काम क्रोध मद दंभ लोभ मद निसिचर सब छुप जात'अनंत' आतम अनुभव नीती नीगम भाव अज्ञात
अनंत महाराज
शबद
घट मांहि निरंजन है सजन तुम ख्याल करौ
सुख सागर न्हाओ रे क्यूँ क्रोध की अग्नि जरौ'ईश्वरदास' कहता है जमा की क्यूँ ऐन भरौ
ईष्वरदास
शबद
बनती और प्रार्थना का अंग - दीनानाथ अनाथ ये कछु पार न पावै
ये मन चंचल चोर है निस बासर घावैकाम क्रोध में मिलि रहियो ई है मन भावै
गुलाल साहब
शबद
चेतावनी - मुसाफ़िर जैहौ कौनी ओर
काया सहर क़हर है न्यारा दुई फाटक घनघोरकाम क्रोध जहं मन है राजा बसत पचीसो चोर
कबीर
शबद
सन्त और साध - सन्त सिपाही बाँके अवधू फिरि पाछे नहिं ताके
काम क्रोध की गर्दन मारैं दिल के बहुत फराखे'पलटूदास' फरक आलम से वे असनाव हैं का के