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Sufinama

अव्वल याद करो वस्ताद की

एकनाथ

अव्वल याद करो वस्ताद की

एकनाथ

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    अव्वल याद करो वस्ताद की

    गुरु पीर पैग़म्बर की

    और याद किये करतार की

    जिन्नै ब्रह्मांड पैदा किया है

    अव्वल देखो ये कथा

    उसे नाम था

    नाम दरम्याने पैदा हुआ चल चल चल

    अव्वल तो एक एक सौ दोने

    दो सौ तीन तीन सौ चार

    चार सौ पाँच

    पाँच सो पच्चीस पच्चीस से छब्बीस बनाया है

    छब्बीस का भी एक रडया है

    सौ गुर गारुडी कू याद है

    और देखो कैसा खेल बनाया है

    चल चल चल क्रोध का बिच्छू बाहर काटा

    उसका बीख शिर कू चढ़ा

    जपी तपी सन्यासी की खोड तोडा

    समज के देखो भाई

    बिच्चू ने नांगी मारा रे मारा

    कहने लगा चल चल चल

    ये देखो बाहेर निकला काम-विषय का साप

    तमाशा देखो मेरे बाप बिन दाँतो से काटे आये आप

    अरे रे रे काटा रे काटा नजर ध्यान करो रे

    नजर ध्यान करो सो साप दूर करे

    चल चल चल

    ये देखो ममता नागन आई रे भाई आई

    तिनें तो डंख मारा रे मारा

    ठन

    भगो रे भाई भगो दवडो रे दवडो

    गुरु के चरन पर दवडो

    तो ऐसा करु की गुरु के

    पाँव कबी ना छोडो

    वहॉ कोई का ना चले

    ममता नागन का जहर बुरा है

    वो कैसी चलती है

    सौ बडे बडे से लडते हैं

    वो ना लढे ऐसी हिकमत

    बताऊ तुम कूँ

    सुनो रे भाई सुनो

    गुरु-पीत के हात का मोहरा

    तुम्हारे हात चढे दुनेदार

    तो नागन का तुटे थारा

    सौ कबी आवने पावे

    मना मंशा साप करो

    शांती पेटारे में वुसकू डारो रे भाई डारो

    बाहेर तो विवेक शिक्का मारे

    जीव और तन

    ईस दोनो कूँ

    ऐसा कस के गुरु के चरन पर

    रात और दिन खेलो जनार्दन गुरु गारुडी के पास

    रात और दिन खेलो जनार्दन गुरु गारुडी के पास

    वहा तुम करो खेल

    खेलते खेलते हो ज्यायगा आलक्ष

    'एका' हाँडीबाग कूँ दिया खेल

    सौ हो गया अलक्ष खेल

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